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<div style="font-size:15px; font-weight:bold">लोहे का स्वाद</div>
+
<div style="font-size:15px; font-weight:bold">धूप वाले दिन</div>
<div style="font-size:15px;"> कवि:[[धूमिल| धूमिल]] </div>
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<div style="font-size:15px;"> कवि:[[देवेन्द्र आर्य| देवेन्द्र आर्य]] </div>
 
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शब्द किस तरह
+
शील ने कितने चुभोए
कविता बनते हैं
+
कोहरे के पिन
इसे देखो
+
अलगनी पर टँक गए
अक्षरों के बीच गिरे हुए
+
लो, धूपवाले दिन
आदमी को पढ़ो
+
क्या तुमने सुना कि यह
+
लोहे की आवाज़ है या
+
मिट्टी में गिरे हुए ख़ून
+
का रंग
+
  
लोहे का स्वाद
+
ठुमकती फिरती वसंती हवा
लोहार से मत पूछो
+
उपवन में,
घोड़े से पूछो
+
गीत गातीं कोयलें
जिसके मुँह में लगाम है ।  
+
मदमस्त मधुबन में
 +
फूल पर मधुमास करता नृत्य
 +
ता धिन-धिन
 +
अलगनी पर टँक गए
 +
लो, धूपवाले दिन ।
 +
 
 +
पीतवसना घूमती सरसों
 +
लगा पाँखें,
 +
मस्त अलसी की लजाती
 +
नीलमणि आँखें ।
 +
ताल में धर पाँव
 +
उतरे चाँदनी पल छिन
 +
अलगनी पर टँक गए
 +
लो, धूपवाले दिन ।
 +
 
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दूर वंशी के स्वरों में
 +
गूँजता कानन,
 +
वर्जना टूटी
 +
खिला सौ चाह का आनन ।
 +
श्याम को श्यामा पुकारे
 +
साँस भर गिन-गिन
 +
अलगनी पर टँक गए
 +
लो, धूपवाले दिन
  
 
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12:55, 17 दिसम्बर 2012 का अवतरण

Lotus-48x48.png
धूप वाले दिन
शील ने कितने चुभोए
कोहरे के पिन
अलगनी पर टँक गए
लो, धूपवाले दिन ।

ठुमकती फिरती वसंती हवा
उपवन में,
गीत गातीं कोयलें
मदमस्त मधुबन में ।
फूल पर मधुमास करता नृत्य
ता धिन-धिन
अलगनी पर टँक गए
लो, धूपवाले दिन ।

पीतवसना घूमती सरसों
लगा पाँखें,
मस्त अलसी की लजाती
नीलमणि आँखें ।
ताल में धर पाँव
उतरे चाँदनी पल छिन
अलगनी पर टँक गए
लो, धूपवाले दिन ।

दूर वंशी के स्वरों में
गूँजता कानन,
वर्जना टूटी
खिला सौ चाह का आनन ।
श्याम को श्यामा पुकारे
साँस भर गिन-गिन
अलगनी पर टँक गए
लो, धूपवाले दिन ।