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"बन्दर सभा / भारतेंदु हरिश्चंद्र" के अवतरणों में अंतर

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आना राजा बन्दर का बीच सभा के,
 
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सभा में दोस्तो बन्दर की आमद आमद है।
 
सभा में दोस्तो बन्दर की आमद आमद है।
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उसी मसीह के पैकर की आमद आमद है।
 
उसी मसीह के पैकर की आमद आमद है।
 
व मोटा तन व थुँदला थुँदला मू व कुच्ची आँख
 
व मोटा तन व थुँदला थुँदला मू व कुच्ची आँख
व मोटे ओठ मुछन्दर की आमद आमद है ।।
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व मोटे ओठ मुछन्दर की आमद आमद है॥
 
हैं खर्च खर्च तो आमद नहीं खर-मुहरे की
 
हैं खर्च खर्च तो आमद नहीं खर-मुहरे की
उसी बिचारे नए खर की आमद आमद है ।। 1
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उसी बिचारे नए खर की आमद आमद है॥1॥
  
 
बोले जवानी राजा बन्दर के बीच अहवाल अपने के,
 
बोले जवानी राजा बन्दर के बीच अहवाल अपने के,
 
पाजी हूँ मं कौम का बन्दर मेरा नाम।
 
पाजी हूँ मं कौम का बन्दर मेरा नाम।
बिन फुजूल कूदे फिरे मुझे नहीं आराम ।।
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बिन फुजूल कूदे फिरे मुझे नहीं आराम॥
 
सुनो रे मेरे देव रे दिल को नहीं करार।
 
सुनो रे मेरे देव रे दिल को नहीं करार।
जल्दी मेरे वास्ते सभा करो तैयार ।।
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जल्दी मेरे वास्ते सभा करो तैयार॥
 
लाओ जहाँ को मेरे जल्दी जाकर ह्याँ।
 
लाओ जहाँ को मेरे जल्दी जाकर ह्याँ।
सिर मूड़ैं गारत करैं मुजरा करैं यहाँ ।। 2
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सिर मूड़ैं गारत करैं मुजरा करैं यहाँ॥2॥
 
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आना शुतुरमुर्ग परी का बीच सभा में,
 
आना शुतुरमुर्ग परी का बीच सभा में,
 
आज  महफिल  में  शुतुरमुर्ग  परी  आती  है।
 
आज  महफिल  में  शुतुरमुर्ग  परी  आती  है।
गोया गहमिल से व लैली उतरी आती है ।।
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गोया गहमिल से व लैली उतरी आती है॥
 
तेल और पानी से पट्टी है सँवारी सिर पर।
 
तेल और पानी से पट्टी है सँवारी सिर पर।
मुँह पै मांझा दिये लल्लादो जरी आती है ।।
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मुँह पै मांझा दिये लल्लादो जरी आती है॥
 
झूठे  पट्ठे  की  है  मुबाफ  पड़ी  चोटी  में।
 
झूठे  पट्ठे  की  है  मुबाफ  पड़ी  चोटी  में।
देखते  ही  जिसे  आंखों  में  तरी  आती  है ।।
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देखते  ही  जिसे  आंखों  में  तरी  आती  है॥
 
पान  भी  खाया  है  मिस्सी  भी  जमाई  हैगी।
 
पान  भी  खाया  है  मिस्सी  भी  जमाई  हैगी।
हाथ  में  पायँचा  लेकर  निखरी  आती  है ।।
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हाथ  में  पायँचा  लेकर  निखरी  आती  है॥
 
मार सकते हैं परिन्दे भी नहीं पर जिस तक।
 
मार सकते हैं परिन्दे भी नहीं पर जिस तक।
चिड़िया-वाले के यहाँ अब व परी आती है ।।
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चिड़िया-वाले के यहाँ अब व परी आती है॥
 
जाते ही लूट लूँ क्या चीज खसोटूँ क्या शै।
 
जाते ही लूट लूँ क्या चीज खसोटूँ क्या शै।
बस इसी फिक्र में यह सोच भरी आती है ।। 3
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बस इसी फिक्र में यह सोच भरी आती है॥3॥
  
 
गजल जवानी शुतुरमुर्ग परी हसन हाल अपने के,
 
गजल जवानी शुतुरमुर्ग परी हसन हाल अपने के,
 
गाती  हूँ  मैं  औ  नाच  सदा  काम  है  मेरा।
 
गाती  हूँ  मैं  औ  नाच  सदा  काम  है  मेरा।
ऐ  लोगो  शुतुरमुर्ग  परी  नाम  है  मेरा ।।
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ऐ  लोगो  शुतुरमुर्ग  परी  नाम  है  मेरा॥
 
फन्दे  से  मेरे  कोई  निकले  नहीं  पाता।
 
फन्दे  से  मेरे  कोई  निकले  नहीं  पाता।
इस गुलशने आलम में बिछा दाम है मेरा ।।
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इस गुलशने आलम में बिछा दाम है मेरा॥
 
दो  चार  टके  ही  पै  कभी  रात  गँवा  दूँ।
 
दो  चार  टके  ही  पै  कभी  रात  गँवा  दूँ।
कारूँ  का  खजाना  कभी  इनआम  है  मेरा ।।
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कारूँ  का  खजाना  कभी  इनआम  है  मेरा॥
 
पहले जो मिले कोई तो जी उसका लुभाना।
 
पहले जो मिले कोई तो जी उसका लुभाना।
बस  कार  यही  तो  सहरो  शाम  है  मेरा ।।
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बस  कार  यही  तो  सहरो  शाम  है  मेरा॥
 
शुरफा  व  रुजला  एक  हैं  दरबार  में  मेरे।
 
शुरफा  व  रुजला  एक  हैं  दरबार  में  मेरे।
कुछ सास नहीं फैज तो इक आम है मेरा ।।
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कुछ सास नहीं फैज तो इक आम है मेरा॥
 
बन जाएँ जुगत् तब तौ उन्हें मूड़ हा लेना।
 
बन जाएँ जुगत् तब तौ उन्हें मूड़ हा लेना।
खली हों तो कर देना धता काम है मेरा ।।
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खली हों तो कर देना धता काम है मेरा॥
 
जर  मजहबो मिल्लत मेरा  बन्दी  हूँ  मैं  जर  की।
 
जर  मजहबो मिल्लत मेरा  बन्दी  हूँ  मैं  जर  की।
जर ही मेरा अल्लाह है जर राम है मेरा ।। 4
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जर ही मेरा अल्लाह है जर राम है मेरा॥4॥
  
 
(छन्द जबानी शुतुरमुर्ग परी)
 
(छन्द जबानी शुतुरमुर्ग परी)
 
 
राजा  बन्दर  देस  मैं  रहें  इलाही  शाद।
 
राजा  बन्दर  देस  मैं  रहें  इलाही  शाद।
जो मुझ सी नाचीज को किया सभा में याद ।।
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जो मुझ सी नाचीज को किया सभा में याद॥
 
किया  सभा  में  याद  मुझे  राजा  ने  आज।
 
किया  सभा  में  याद  मुझे  राजा  ने  आज।
दौलत  माल  खजाने  की  मैं  हूँ  मुँहताज ।।
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दौलत  माल  खजाने  की  मैं  हूँ  मुँहताज॥
 
रूपया मिलना चाहिये तख्त न मुझको ताज।
 
रूपया मिलना चाहिये तख्त न मुझको ताज।
जग में बात उस्ताद की बनी रहे महराज ।। 5
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जग में बात उस्ताद की बनी रहे महराज॥5॥
  
 
ठुमरी जबानी शुतुरमुर्ग परी के,
 
ठुमरी जबानी शुतुरमुर्ग परी के,
 
आई हूँ मैं सभा में छोड़ के घर।
 
आई हूँ मैं सभा में छोड़ के घर।
लेना  है  मुझे  इनआम में जर ।।
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लेना  है  मुझे  इनआम में जर॥
 
दुनिया में है जो कुछ सब जर है।
 
दुनिया में है जो कुछ सब जर है।
बिन  जर  के  आदमी  बन्दर है ।।
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बिन  जर  के  आदमी  बन्दर है॥
 
बन्दर  जर  हो  तो  इन्दर है।
 
बन्दर  जर  हो  तो  इन्दर है।
जर ही के लिये कसबो हुनर है ।। 6
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जर ही के लिये कसबो हुनर है॥6॥
  
 
गजल शुतुरमुर्ग परी की बहार के मौसिम में,
 
गजल शुतुरमुर्ग परी की बहार के मौसिम में,
 
आमद से बसंतों के है गुलजार बसंती।
 
आमद से बसंतों के है गुलजार बसंती।
है  फर्श  बसंती  दरो-दीवार  बसंती ।।
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है  फर्श  बसंती  दरो-दीवार  बसंती॥
 
आँखों में हिमाकत का कँवल जब से खिला है।
 
आँखों में हिमाकत का कँवल जब से खिला है।
आते हैं नजर कूचओ बाजार बसंती ।।
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आते हैं नजर कूचओ बाजार बसंती॥
 
अफयूँ मदक चरस के व चंडू के बदौलत।
 
अफयूँ मदक चरस के व चंडू के बदौलत।
यारों के सदा रहते हैं रुखसार बसंती ।।
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यारों के सदा रहते हैं रुखसार बसंती॥
 
दे जाम मये गुल के मये जाफरान के।
 
दे जाम मये गुल के मये जाफरान के।
दो चार गुलाबी हां तो दो चार बसंती ।।
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दो चार गुलाबी हां तो दो चार बसंती॥
 
तहवील जो खाली हो तो कुछ कर्ज मँगा लो।
 
तहवील जो खाली हो तो कुछ कर्ज मँगा लो।
जोड़ा हो परी जान का तैयार बसंती ।। 7
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जोड़ा हो परी जान का तैयार बसंती॥7॥
  
 
होली जबानी शुतुरमुर्ग परी के,
 
होली जबानी शुतुरमुर्ग परी के,
 
पा लागों कर जोरी भली कीनी तुम होरी।
 
पा लागों कर जोरी भली कीनी तुम होरी।
फाग खेलि बहुरंग उड़ायो ओर धूर भरि झोरी ।।
+
फाग खेलि बहुरंग उड़ायो ओर धूर भरि झोरी॥
 
धूँधर करो भली हिलि मिलि कै अधाधुंध मचोरी।
 
धूँधर करो भली हिलि मिलि कै अधाधुंध मचोरी।
 
न सूझत कहु चहुँ ओरी।
 
न सूझत कहु चहुँ ओरी।
 
बने दीवारी के बबुआ पर लाइ भली विधि होरी।
 
बने दीवारी के बबुआ पर लाइ भली विधि होरी।
लगी सलोनो हाथ चरहु अब दसमी चैन करो री ।।
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लगी सलोनो हाथ चरहु अब दसमी चैन करो री॥
सबै तेहवार भयो री ।। 8
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सबै तेहवार भयो री॥8॥
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10:58, 24 मार्च 2017 के समय का अवतरण

(इन्दर सभा उरदू में एक प्रकार का नाटक है वा नाटकाभास है और यह बन्दर सभा उसका भी आभास है।)

आना राजा बन्दर का बीच सभा के,
सभा में दोस्तो बन्दर की आमद आमद है।
गधे औ फूलों के अफसर जी आमद आमद है।
मरे जो घोड़े तो गदहा य बादशाह बना।
उसी मसीह के पैकर की आमद आमद है।
व मोटा तन व थुँदला थुँदला मू व कुच्ची आँख
व मोटे ओठ मुछन्दर की आमद आमद है॥
हैं खर्च खर्च तो आमद नहीं खर-मुहरे की
उसी बिचारे नए खर की आमद आमद है॥1॥

बोले जवानी राजा बन्दर के बीच अहवाल अपने के,
पाजी हूँ मं कौम का बन्दर मेरा नाम।
बिन फुजूल कूदे फिरे मुझे नहीं आराम॥
सुनो रे मेरे देव रे दिल को नहीं करार।
जल्दी मेरे वास्ते सभा करो तैयार॥
लाओ जहाँ को मेरे जल्दी जाकर ह्याँ।
सिर मूड़ैं गारत करैं मुजरा करैं यहाँ॥2॥
आना शुतुरमुर्ग परी का बीच सभा में,
आज महफिल में शुतुरमुर्ग परी आती है।
गोया गहमिल से व लैली उतरी आती है॥
तेल और पानी से पट्टी है सँवारी सिर पर।
मुँह पै मांझा दिये लल्लादो जरी आती है॥
झूठे पट्ठे की है मुबाफ पड़ी चोटी में।
देखते ही जिसे आंखों में तरी आती है॥
पान भी खाया है मिस्सी भी जमाई हैगी।
हाथ में पायँचा लेकर निखरी आती है॥
मार सकते हैं परिन्दे भी नहीं पर जिस तक।
चिड़िया-वाले के यहाँ अब व परी आती है॥
जाते ही लूट लूँ क्या चीज खसोटूँ क्या शै।
बस इसी फिक्र में यह सोच भरी आती है॥3॥

गजल जवानी शुतुरमुर्ग परी हसन हाल अपने के,
गाती हूँ मैं औ नाच सदा काम है मेरा।
ऐ लोगो शुतुरमुर्ग परी नाम है मेरा॥
फन्दे से मेरे कोई निकले नहीं पाता।
इस गुलशने आलम में बिछा दाम है मेरा॥
दो चार टके ही पै कभी रात गँवा दूँ।
कारूँ का खजाना कभी इनआम है मेरा॥
पहले जो मिले कोई तो जी उसका लुभाना।
बस कार यही तो सहरो शाम है मेरा॥
शुरफा व रुजला एक हैं दरबार में मेरे।
कुछ सास नहीं फैज तो इक आम है मेरा॥
बन जाएँ जुगत् तब तौ उन्हें मूड़ हा लेना।
खली हों तो कर देना धता काम है मेरा॥
जर मजहबो मिल्लत मेरा बन्दी हूँ मैं जर की।
जर ही मेरा अल्लाह है जर राम है मेरा॥4॥

(छन्द जबानी शुतुरमुर्ग परी)
राजा बन्दर देस मैं रहें इलाही शाद।
जो मुझ सी नाचीज को किया सभा में याद॥
किया सभा में याद मुझे राजा ने आज।
दौलत माल खजाने की मैं हूँ मुँहताज॥
रूपया मिलना चाहिये तख्त न मुझको ताज।
जग में बात उस्ताद की बनी रहे महराज॥5॥

ठुमरी जबानी शुतुरमुर्ग परी के,
आई हूँ मैं सभा में छोड़ के घर।
लेना है मुझे इनआम में जर॥
दुनिया में है जो कुछ सब जर है।
बिन जर के आदमी बन्दर है॥
बन्दर जर हो तो इन्दर है।
जर ही के लिये कसबो हुनर है॥6॥

गजल शुतुरमुर्ग परी की बहार के मौसिम में,
आमद से बसंतों के है गुलजार बसंती।
है फर्श बसंती दरो-दीवार बसंती॥
आँखों में हिमाकत का कँवल जब से खिला है।
आते हैं नजर कूचओ बाजार बसंती॥
अफयूँ मदक चरस के व चंडू के बदौलत।
यारों के सदा रहते हैं रुखसार बसंती॥
दे जाम मये गुल के मये जाफरान के।
दो चार गुलाबी हां तो दो चार बसंती॥
तहवील जो खाली हो तो कुछ कर्ज मँगा लो।
जोड़ा हो परी जान का तैयार बसंती॥7॥

होली जबानी शुतुरमुर्ग परी के,
पा लागों कर जोरी भली कीनी तुम होरी।
फाग खेलि बहुरंग उड़ायो ओर धूर भरि झोरी॥
धूँधर करो भली हिलि मिलि कै अधाधुंध मचोरी।
न सूझत कहु चहुँ ओरी।
बने दीवारी के बबुआ पर लाइ भली विधि होरी।
लगी सलोनो हाथ चरहु अब दसमी चैन करो री॥
सबै तेहवार भयो री॥8॥