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मैं तुझे फिर मिलूँगी / अमृता प्रीतम
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06:52, 15 अप्रैल 2013
या सूरज की लौ बन कर
तेरे रंगो में घुलती रहूँगी
या रंगो
कि
की
बाँहों में बैठ कर
तेरे कैनवास पर बिछ जाउँगी
पता नहीं कहाँ किस तरह
पर यादों के धागे
कायनात के लम्हें
कि
की
तरह होते हैं
मैं उन लम्हों को चुनूँगी
Sharda suman
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