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मान
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{{KKGlobal}}
मुसकुराता हुआ वह
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==विपिनकुमार अग्रवाल की रचनाएँ==
बढ़ता मेरी ओर
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[[Category:विपिनकुमार अग्रवाल]]
बातें करने लगता आत्मीयता से
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उसकी मुसकान
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{{KKParichay
और ऑंखों की चमक से झलकता
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|चित्र=
वह मुझे अच्छी तरह जानता
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|नाम= विपिनकुमार अग्रवाल
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|उपनाम=
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|जन्म=
 +
|जन्मस्थान= भारत
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|कृतियाँ= 
 +
|विविध=
 +
|जीवनी=[[विपिनकुमार अग्रवाल / परिचय]]
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}}
  
पहले कहीं मिला होगा
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* [[सृजन और अनुवाद / विपिनकुमार अग्रवाल]]
हुआ होगा परिचय
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पर इस समय ध्यान नहीं आ रहा
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और कहिये कैसे हैं
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क्या हालचाल है पूछता हूँ
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सब कुशल मंगल तो है
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घर में ठीक हैं सब लोग
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आजकल कहाँ हैं ...
+
 
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इसी तरह के सहज सुरक्षित सवाल
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कि वह जान न पाए
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अभी मैं उसे नहीं जानता
+
 
+
 
+
 
+
 
+
बातें करता
+
सोचता जाता ज़ाहिर किये बगैर
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आखिर कब कहाँ हुई थी भेंट
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कैसे किधर से वह जुड़ता है मुझसे
+
 
+
सुनता कहता
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बड़े सँभाल से
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कि पकड़ा न जाऊँ
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और प्रतीक्षा करता
+
बातों ही बातों में
+
कोई सिरा मिले
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जिससे पहचान खुले
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माफ करिये भूल रहा आपका नाम ...
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सीधे सीधे उसकी मदद ले सकता
+
 
+
पर डर है उसके आहत होने का
+
इतनी भली तरह वह मुझे जानता है
+
और मैं उसका नाम तक नहीं ...
+
 
+
अभी इतना भी
+
बड़ा नहीं हुआ
+
कि न हो इतना ख़याल
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कोई मिले और आगे बढ़ जाऊँ कतरा कर
+
देख कर मुसकुरा कर हाथ हिला कर
+
निकल जाऊँ उसकी बातों के बीच से
+
रास्ता बना कर
+
 
+
कोई है जिसे याद हूँ
+
लेकिन मैं भूल गया हूँ
+
 
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कुछ हैं
+
जिन्हें मैं नहीं जानता
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पर वे मुझे
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जानते हैं
+
ऐसे कितने हैं ...?
+
 
+
एक पल के लिए
+
जाने कहाँ से
+
तुष्टि सी जागती
+
 
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जबकि संताप होना चाहिए था
+
अफसोस अपनी लाचारी पर
+
 
+
अब तक पहचान नहीं सका
+
हालाँकि वह इतनी देर रहा
+
इतना मौका दिया
+
 
+
चलूँ ...नहीं तो छूट जायेगी गाड़ी
+
अब वह जा रहा
+
अब भी नहीं मिला उसका नाम
+
 
+
शायद वह उतना सफल नहीं जीवन में
+
 
+
सफलता का अभी पैमाना यही
+
कितने तुम्हें जानने वाले
+
जिन्हें तुम नहीं पहचानते
+
 
+
यह एक ऐसा दौर
+
जिसमें स्मृति और पहचान
+
न होने का अभिमान ...!
+
 
+
******************
+
 
+
छोड़ना
+
 
+
अंधेरे में ही टटोलीं उसने चप्पलें
+
हाथ में ली औचक बत्ती
+
और सँकरी सीढ़ियाँ दिखाते
+
उतरा मुझे छोड़ने
+
छोड़ खुले दरवाजे
+
 
+
मेरे बहुत आगे
+
अपने बहुत पीछे
+
तक की बातें
+
करता चलता गया
+
संकोच से भरा सोचता रहा मैं
+
जहाँ तक जायेगा छोड़ने
+
वहाँ से लौटना होगा उसे अकेले
+
 
+
 
+
चित्रांकन - शालिनी
+
 
+
आधी राह तक आया वह
+
इससे आगे जाना
+
संदेह भरता
+
कि होगा कहीं कोई हित जरूर उसका
+
अपना लौटना रखा
+
जितनी रह गयी थी मेरी राह
+
उससे छूट कर
+
 
+
इससे बढ़कर
+
क्या होगा निभाव
+
 
+
घूँघट की ओट तक
+
छोड़ता
+
कोई चौखट तक
+
गली नगर सीवान पलकों के अनंत अपार
+
पास के तट तो कोई मरघट तक
+
रहता देता साथ
+
 
+
उतनी बड़ी ज़िंदगी
+
कोई अपना देखता जितनी देर
+
जाते हुए किसी को अपने आगे
+
उतना ही बड़ा आदमी
+
छोड़ता जो किसी को जितनी दूर
+
और बस्ती उतनी ही बड़ी
+
जहाँ तक लोग लोगों को
+
लाने छोड़ने जाते
+
 
+
कौन मगर इस भीड़ में
+
मिलता किसी से
+
अब कहाँ कोई छोड़ता किसी को
+
 
+
जबकि छोड़ना भी शामिल है यात्राओं में
+
 
+
गौर करें तो हम सब की यात्रायें
+
छोड़ने की
+
यात्रायें हैं
+
न छोड़ो तब भी
+
एक एक कर सब छूटते जाते
+
और कहीं पहुँच कर हम पाते
+
कि अपना आप ही नहीं साथ
+
वह भी कहीं
+
छूट गया ...
+
 
+
तब पता चलता
+
कई बार तो तब भी नहीं
+
कि यात्रा अपनी
+
दरअसल यात्रा अपने को छोड़ने की
+
 
+
छोड़ें अगर किसी को
+
तो इस तरह
+
जैसे जाते हुए बहुत अपने को
+
छोड़ते हैं
+
प्यार से
+
साथ जाकर
+
देर तक
+
और दूर तक ...
+
 
+
ख़ैर छोड़ो
+
अब जाने दो यह बात
+
मैं तुम्हें और तुम मुझे
+
इस ओस भींगे आधे चाँद की रात
+
छोड़ते रहे तासहर
+
 
+
जब तक एक न हो जायें
+
अपने ऑंगन अपने घर
+

14:27, 15 अक्टूबर 2007 का अवतरण

विपिनकुमार अग्रवाल की रचनाएँ

विपिनकुमार अग्रवाल
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जन्म
निधन
उपनाम
जन्म स्थान भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
विविध
जीवन परिचय
विपिनकुमार अग्रवाल / परिचय
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