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"फेसबुक पर स्त्री / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

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फेसबुक की स्त्री के बारे में
 
फेसबुक की स्त्री के बारे में
 
पूर्वाग्रहियों के विचार|
 
पूर्वाग्रहियों के विचार|
एक लोकगीत को सुनकर
 
 
राजा ने आकाश में उड़ती मैना का शिकार किया
 
बाँधकर घर लाए
 
घर वालों को पकड़ने की वजह बताई
 
-'इसके पूर्व जनम का करम ही ऐसा था
 
कि मुझे शिकार का धर्म निभाना पड़ा |'
 
जबकि राजा को बौड़म बेटे के लिए
 
जीती -जागती मैना की दरकार थी
 
घर के पिंजरे में कैद, आज्ञाकारिणी
 
उड़ती मैना से उन्हें चिढ़ थी
 
राजा ने बेटे से कहा -ले जाओ इसे और खेलो
 
राजकुमार ने मैना के पंख नोच लिए
 
और कहा - उड़ो
 
पंख बिना मैना कैसे उड़ती
 
झल्लाकर राजकुमार ने मैना के पैर तोड़ दिए
 
और आदेश दिया - नाचो
 
मैना नाच न सकी
 
गुस्से से पागल हो उठा राजकुमार
 
मैना का गला दबाकर चीखने लगा -
 
गाओ ...गाओ ...गाओ
 
मैना निष्पन्द पड़ी थी
 
राजकुमार रोने लगा
 
कि गुस्ताख मैना ने नहीं मानी
 
उसकी एक भी बात
 
इससे अच्छी तो चाभी वाली मैना थी
 
राजा आए और राजकुमार को समझाने लगे -
 
तुमने नहीं सीखी अभी तक
 
स्त्री साधने की कला !
 
कुछ और नहीं करना था
 
बस दिखाते रहना था
 
मुक्ति का स्वप्न
 

09:54, 28 जून 2013 के समय का अवतरण

कुछ ने संस्कृति के लिए खतरा बताया
कुछ के मुँह में भर आया पानी
कुछ ने बेहतर कहा तो कुछ ने सिर-दर्द
कुछ हँसे - इनके भी विचार ?
कुछ सपने देखने लगे कुछ दिखाने लगे
कुछ के हिसाब से प्रचार था
कुछ के विचार
कुछ दबी जुबान व्यभिचार भी कह रहे थे
हैरान थी स्त्री
इक्कीसवीं सदी के पुरुषों की मानसिकता जानकर
देह से दिमाग मादा से मनुष्य की यात्रा में
नहीं है पुरुष आज भी उसके साथ
कुछ को उसने फेसबुक से हटा दिया
हटने वाले कुछ झल्लाए
कुछ इल्जाम लगाए
कुछ चिल्लाए-एक औरत की ये मजाल!
स्त्री ने भी नही मानी हार
सोच लिया उसने
बदल कर रहेगी वह
फेसबुक की स्त्री के बारे में
पूर्वाग्रहियों के विचार|