"इंदीवर / परिचय" के अवतरणों में अंतर
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श्यामलाल बाबू राय उर्फ इंदीवर का जन्म झांसी मे वर्ष 1924 मे हुआ था। बचपन के दिनों से ही इंदीवर गीतकार बनने का सपना देखा करते थे और अपने इसी सपने को पूरा करने के लिये वह मुंबई आ गये। बतौर गीतकार सबसे पहले वर्ष 1946 मे प्रदर्शित फिल्म डबल क्रॉस में उन्हें काम करने का मौका मिला लेकिन फिल्म की असफलता से वह कुछ खास पहचान नही बना पाए। अपने वजूद को तलाशते इंदीवर को बतौर गीतकार पहचान बनाने के लिये लगभग 5 वर्ष तक फिल्म इंडस्ट्री मे संघर्ष करना पड़़ा। इस दौरान उन्होंने कई बी और सी ग्रेड की फिल्मे भी की। वर्ष 1951 मे प्रदर्शित फिल्म मल्हार की कामयाबी से बतौर गीतकार कुछ हद तक वह अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गए। फिल्म मल्हार का गीत बड़े अरमानों से रखा है बलम तेरी कसम.. श्रोताओं के बीच आज भी लोकप्रिय है । | श्यामलाल बाबू राय उर्फ इंदीवर का जन्म झांसी मे वर्ष 1924 मे हुआ था। बचपन के दिनों से ही इंदीवर गीतकार बनने का सपना देखा करते थे और अपने इसी सपने को पूरा करने के लिये वह मुंबई आ गये। बतौर गीतकार सबसे पहले वर्ष 1946 मे प्रदर्शित फिल्म डबल क्रॉस में उन्हें काम करने का मौका मिला लेकिन फिल्म की असफलता से वह कुछ खास पहचान नही बना पाए। अपने वजूद को तलाशते इंदीवर को बतौर गीतकार पहचान बनाने के लिये लगभग 5 वर्ष तक फिल्म इंडस्ट्री मे संघर्ष करना पड़़ा। इस दौरान उन्होंने कई बी और सी ग्रेड की फिल्मे भी की। वर्ष 1951 मे प्रदर्शित फिल्म मल्हार की कामयाबी से बतौर गीतकार कुछ हद तक वह अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गए। फिल्म मल्हार का गीत बड़े अरमानों से रखा है बलम तेरी कसम.. श्रोताओं के बीच आज भी लोकप्रिय है । | ||
23:42, 17 मार्च 2009 के समय का अवतरण
श्यामलाल बाबू राय उर्फ इंदीवर का जन्म झांसी मे वर्ष 1924 मे हुआ था। बचपन के दिनों से ही इंदीवर गीतकार बनने का सपना देखा करते थे और अपने इसी सपने को पूरा करने के लिये वह मुंबई आ गये। बतौर गीतकार सबसे पहले वर्ष 1946 मे प्रदर्शित फिल्म डबल क्रॉस में उन्हें काम करने का मौका मिला लेकिन फिल्म की असफलता से वह कुछ खास पहचान नही बना पाए। अपने वजूद को तलाशते इंदीवर को बतौर गीतकार पहचान बनाने के लिये लगभग 5 वर्ष तक फिल्म इंडस्ट्री मे संघर्ष करना पड़़ा। इस दौरान उन्होंने कई बी और सी ग्रेड की फिल्मे भी की। वर्ष 1951 मे प्रदर्शित फिल्म मल्हार की कामयाबी से बतौर गीतकार कुछ हद तक वह अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गए। फिल्म मल्हार का गीत बड़े अरमानों से रखा है बलम तेरी कसम.. श्रोताओं के बीच आज भी लोकप्रिय है ।
वर्ष 1963 मे बाबू भाई मिस्त्री की संगीतमय फिल्म पारसमणि की सफलता के बाद इंदीवर शोहरत की बुंलदियो पर जा पहुंचे। इंदीवर के सिने कैरियर में उनकी जोड़ी निर्माता-निर्देशक मनोज कुमार के साथ बहुत खूब जमी। मनोज कुमार ने सबसे पहले इंदीवर से फिल्म उपकार के लिये गीत लिखने की पेशकश की। कल्याणजी-आनंद जी के संगीत निर्देशन मे फिल्म उपकार के लिए इंदीवर ने कस्मे वादे प्यार वफा.. जैसे दिल को छू लेने वाले गीत लिखकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। इसके अलावे मनोज कुमार की फिल्म पूरब और पश्चिम के लिये भी इंदीवर ने दुल्हन चली वो पहन चली और कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे जैसे सदाबहार गीत लिखकर अपना अलग ही समां बांधा। इंदीवर के सिने कैरियर मे संगीतकार जोडी कल्याणजी-आनंद जी के साथ उनकी खूब जमी। छोड दे सारी दुनिया किसी के लिये.., चंदन सा बदन.. और मैं तो भूल चली बाबुल का देश.. जैसे इंदीवर के लिखे न भूलने वाले गीतों को कल्याण जी- आनंद जी ने संगीत दिया।
वर्ष 1970 मे विजय आनंद निर्देशित फिल्म जॉनी मेरा नाम में नफरत करने वालो के सीने मे.., पल भर के लिये कोई मुझे.. जैसे रूमानी गीत लिखकर इंदीवर ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। मनमोहन देसाई के निर्देशन मे फिल्म सच्चा-झूठा के लिये इंदीवर का लिखा एक गीत मेरी प्यारी बहनियां बनेगी दुल्हनियां.. को आज भी शादी के मौके पर सुना जा सकता है। इसके अलावा फिल्म राजेश खन्ना अभिनीत फिल्म सफर के लिये इंदीवर ने जीवन से भरी तेरी आंखे.. और जो तुमको हो पसंद.. जैसे गीत लिखकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
जाने माने निर्माता.निर्देशक राकेश रौशन की फिल्मों के लिये इंदीवर ने सदाबहार गीत लिखकर उनकी फिल्मो को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उनके सदाबहार गीतों के कारण ही राकेश रौशन की ज्यादातार फिल्मे आज भी याद की जाती है। इन फिल्मो में खासकर कामचोर, खुदगर्ज, खून भरी मांग, काला बाजार, किशन कन्हैया, किंग अंकल, करण अर्जुन और कोयला जैसी फिल्में शामिल है। राकेश रौशन के अलावा उनके पसंदीदा निर्माता- निर्देशको में मनोज कुमार, फिरोज खान आदि प्रमुख रहे है। इंदीवर के पसंदीदा संगीतकार के तौर पर कल्याणजी-आनंदजी का नाम सबसे ऊपर आता है। कल्याणजी-आनंदजी के संगीत निर्देशन में इंदीवर के गीतो को नई पहचान मिली और शायद संगीतकार कल्याणजी-आनंद जी इंदीवर के दिल के काफी करीब थे। सबसे पहले इस जोड़ी का गीत संगीत वर्ष 1965 में प्रदर्शित फिल्म हिमालय की गोद में पसंद किया गया। इसके बाद इंदीवर द्वारा रचित फिल्मी गीतो में कल्याणजी- आनंदजी का ही संगीत हुआ करता था। ऐसी फिल्मो में उपकार, दिल ने पुकारा, सरस्वती चंद्र, यादगार, सफर, सच्चा झूठा, पूरब और पश्चिम, जॉनी मेरा नाम, पारस, उपासना, कसौटी, धर्मात्मा, हेराफेरी, डॉन, कुर्बानी, कलाकार आदि फिल्में शामिल है।
कल्याणजी-आनंदजी के अलावा इंदीवर के पसंदीदा संगीतकारों में बप्पी लाहिरी और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जैसे संगीतकार शामिल है। उनके गीतो को किशोर कुमार, आशा भोंसले, मोहम्मद रफी, लता मंगेश्कर जैसे चोटी के गायक कलाकारो ने अपने स्वर से सजाया है। इंदीवर के सिने कैरियर पर यदि नजर डाले तो अभिनेता जितेन्द्र पर फिल्माये उनके रचित गीत काफी लोकप्रिय हुआ करते थे। इन फिल्मों मे दीदारे यार, मवाली, हिम्मतवाला, जस्टिस चौधरी, तोहफा, कैदी, पाताल भैरवी, खुदगर्ज, आसमान से ऊंचा, थानेदार जैसी फिल्में शामिल है।
वर्ष 1975 मे प्रदर्शित फिल्म अमानुष के लिये इंदीवर को सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। इंदीवर ने अपने सिने कैरियर मे लगभग 300 फिल्मों के लिये गीत लिखे। इंदीवर के गीतो की लंबी फेहरिस्त में .. मैं तो भूल चली बाबुल का देश.., फूल तुम्हे भेजा है खत में, ताल मिले नदी के जल मे.., मेरे देश की धरती सोना उगले.., जंदगी का सफर है ये कैसा सफर.., तेरे चेहरे मे वो जादू है.., दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़़ा.., आप जैसा कोई मेरी जिंदगी मे.., होंठो को छू लो तुम.., दुश्मन ना करे दोस्त ने वो काम किया है.., हर किसी को नही मिलता.., रूप सुहाना लगता है.., जाती हूं मै जल्दी है क्या.., तुम मिले दिल खिले.., ये तेरी आंखे झुकी-झुकी.. आदि हैं।
लगभग तीन दशक तक अपने गीतों से श्रोताओं को भावविभोर करने वाले इंदीवर 27 फरवरी 1999 को सदा के लिये अलविदा कह गये ।