भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पर्वत / अचल वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अचल वाजपेयी |संग्रह=शत्रु-शिविर तथा अन्य कविताएँ }} वे ...)
 
छो
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=अचल वाजपेयी
 
|रचनाकार=अचल वाजपेयी
|संग्रह=शत्रु-शिविर तथा अन्य कविताएँ
+
|संग्रह=शत्रु-शिविर तथा अन्य कविताएँ / अचल वाजपेयी
 
}}
 
}}
  

15:35, 27 अक्टूबर 2007 का अवतरण

वे कभी

पर्वत देखते हैं

कभी अपने बीमार कंधे


मैं उन दोनों को

देर तक देखता रहता हूँ


एक खेल

जो पर्वत को

हम पर थूकने का

अवसर देता है