भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मद्रास / दूधनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दूधनाथ सिंह |संग्रह=एक और भी आदमी है }} स्वागत-होटल में ...)
 
छो
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=दूधनाथ सिंह
 
|रचनाकार=दूधनाथ सिंह
|संग्रह=एक और भी आदमी है
+
|संग्रह=एक और भी आदमी है / दूधनाथ सिंह
 
}}
 
}}
  

15:37, 27 अक्टूबर 2007 के समय का अवतरण

स्वागत-होटल में लोग अपनी ख़ुशी फुसफुसा रहे हैं ।

मेरिना समुद्र-तट पर सुबह

मछुआरों के नंगे बच्चे नहा रहे हैं

जिस बैरक में 'क्लाइव' रहता था--उसके पास

प्याज़ की दस-दस गाँठों का ढेर लगाए--औरतें

ख़रीदार के इन्तज़ार में झुटैंले बालों से जुएँ निकाल रही हैं


दो हज़ार वर्ष पुरानी एक कवयित्री

हाथ उठाए मछुआरों की झोंपड़ी की तरफ़ इशारा कर रही है

प्रेम काली पसलियों में दमे की तरह हाँफ रहा है

एक सुखण्डी चेहरा--इतिहास की गाँठ

खोलता हुआ बालू
में गड़ा है ।


सूरज आख़िरकार--पूरब में ही

उगता है ।