भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अधूरा है: सुन्दर है/ बलदेव वंशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
अधूरा है!  
 
अधूरा है!  
 
इसीलिए सुन्दर है!
 
इसीलिए सुन्दर है!
दुधिया दांतों तोतला बोल
+
दुधिया दाँतों तोतला बोल
 
बुनाई हाथों के स्पर्श का अहसास!
 
बुनाई हाथों के स्पर्श का अहसास!
ऊनी धागों में लगी अनजानी गांठें, उचटने
+
ऊनी धागों में लगी अनजानी गाँठें, उचटने
 
सिलाई के टूटे-छूटे धागे
 
सिलाई के टूटे-छूटे धागे
 
चित्र में उभरी, बे-तरतीब रंगतें-रेखाएं  
 
चित्र में उभरी, बे-तरतीब रंगतें-रेखाएं  
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
 
शायद इसीलिए
 
शायद इसीलिए
 
अभावों में भाव अधिक खिलते हैं,
 
अभावों में भाव अधिक खिलते हैं,
चुभते आलते और खलते हैं
+
चुभते सालते और खलते हैं
  
 
एक टीस की अबूझ स्मृति
 
एक टीस की अबूझ स्मृति

10:15, 6 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

अधूरा है!
इसीलिए सुन्दर है!
दुधिया दाँतों तोतला बोल
बुनाई हाथों के स्पर्श का अहसास!
ऊनी धागों में लगी अनजानी गाँठें, उचटने
सिलाई के टूटे-छूटे धागे
चित्र में उभरी, बे-तरतीब रंगतें-रेखाएं

शायद इसीलिए
अभावों में भाव अधिक खिलते हैं,
चुभते सालते और खलते हैं

एक टीस की अबूझ स्मृति
जीवन भर सालने वाली
आकाश को दो फाँक करती तड़ित रेखा
और ऐसा ही और भी बहुत कुछ
जिसे लोग अधूरा या अबूझ मानते आए हैं
उसे ही सयाने लोग
पूरा और सुन्दर बखानते गए हैं

चाहे हुए रास्ते, जीवन और पूरे व्यक्ति
कहाँ मिलते हैं!
नियति के हाथों
औचक मिले
मानसिक घाव
पूरे कहाँ सिलते हैं!...