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♦ रचनाकार: अज्ञात
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रुकुमिनी लिपी अईली पोति अईली छतीस दियना बारि अईली हो
आरे बीनू रे होरील के ओबरिया त झहर झहर करे
एक रे पहर रुकुमिनी सूतेली सपन एक देखेली हो
आरे पांचही आम के घवदिया खोईन्छा कहू डालेला
दूसरा पहर रुकुमिनी सूतली त सपन एक देखेली हो
आरे कोरी नदीयवा के दहिया जंगलवा कहू धईल
तीसरा पहर रुकुमिनी सूतेली सपन एक देखेली
आरे लाल बरन के घुनघुनावान सेजीयावा पर धईल.
चौथा पहर रुकुमिनी सूतेली सपन एक देखेली हो
आरे सावरेन वरन के होरीलवा सेजीयवा पर खेलेला हो