भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पटना से बैदा बोलाई द्या नजरा गैली गोरिया / अवधी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=अवधी }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
{{KKCatAwadhiRachna}}
 
{{KKCatAwadhiRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
 +
साभार: सिद्धार्थ सिंह
 +
 
पटना से बैदा बोलाई द्या नजरा गैली गोरिया  
 
पटना से बैदा बोलाई द्या नजरा गैली गोरिया  
  

17:09, 24 फ़रवरी 2014 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

साभार: सिद्धार्थ सिंह

पटना से बैदा बोलाई द्या नजरा गैली गोरिया

काहे से आएं बैदा बेटौना,
काहे से आई दवाई रे, नजरा गैली गोरिया

मोटर से आएं बैदा बेटौना,
टेम्पो से आई दवाई रे, नजरा गैली गोरिया

बैदा बेटौना पलंग चढ़ी बैठो,
नाड़ी का रोग बताओ रे,नजरा गैली गोरिया

न इनके गर्मी न इनके सर्दी,
इनके तो चढ़ी है मोटाई रे,नजरा गैली गोरिया