भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मैंने पूछा / भवानीप्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र | |रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र | ||
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=व्यक्तिगत / भवानीप्रसाद मिश्र |
}} | }} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} |
15:46, 1 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
मैंने पूछा
तुम क्यों आ गई
वह हँसी
और बोली
तुम्हें कुरूप से
बचाने के लिए
कुरूप है
ज़रुरत से ज़्यादा
धूप
मैं छाया हूँ
ज़रूरत से ज़्यादा धूप
कुरूप है ना?