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18:25, 13 जुलाई 2008 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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पतरें सोनें कैसे डोरा, रजऊ तुमाये पोरा
बड़ी मुलाम पकरतन घरतन लग न जाए नरोरा
पैराउत में दैया-मैया, दाबत परे दादोरा
रतन भरे सें भारी हो गये, पैरन कंचन बोरा
'ईसुर' कउँ का देखे ऎसे, नर-नारी का जोरा ।