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"ईसुरी की फाग-11 / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर
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18:26, 13 जुलाई 2008 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
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जो तुम छैल, छला हो जाते, परे उंगरियन राते
मौं (मुँह) पौंछत गालन के ऊपर, कजरा देत दिखाते
घरी-घरी घूंघट खोलत में, नज़र सामने आते
'ईसुर' दूर दरस के लानें, ऎसे काए ललाते ?