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"धनि यह वृन्दावन की रैनु / सूरदास" के अवतरणों में अंतर
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मनमोहन कौ ध्यान धरै जो अति सुख पावत चैनु। | मनमोहन कौ ध्यान धरै जो अति सुख पावत चैनु। | ||
चलत कहां मन बसहिं सनातन जहां लैनु नहीं दैनु॥ | चलत कहां मन बसहिं सनातन जहां लैनु नहीं दैनु॥ |
19:49, 21 मई 2014 के समय का अवतरण
धनि यह वृन्दावन की रैनु।
नंदकिसोर चरावे गैयां बिहरि बजावे बैनु॥
मनमोहन कौ ध्यान धरै जो अति सुख पावत चैनु।
चलत कहां मन बसहिं सनातन जहां लैनु नहीं दैनु॥
यहां रहौ जहं जूठन पावैं ब्रजवासी के ऐनु।
सूरदास ह्यां की सरबरि नहिं कल्पवृच्छ सुरधैनु॥