भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"श्री रामजी की आरती / आरती" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) छो (Sharda suman moved page आरती करत जनक कर जोरे / आरती to श्री रामजी की आरती / आरती) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | {{ | + | {{KKDharmikRachna}} |
− | + | {{KKCatArti}} | |
− | }} | + | |
<poem> | <poem> | ||
आरती करत जनक कर जोरे। | आरती करत जनक कर जोरे। | ||
पंक्ति 24: | पंक्ति 23: | ||
मिथिलापुर में बजत बधाई। | मिथिलापुर में बजत बधाई। | ||
दास मुरारी स्वामी आरती गाई॥ | दास मुरारी स्वामी आरती गाई॥ | ||
+ | </poem> |
18:16, 31 मई 2014 के समय का अवतरण
आरती करत जनक कर जोरे।
बड़े भाग्य रामजी घर आए मोरे॥
जीत स्वयंवर धनुष चढ़ाये।
सब भूपन के गर्व मिटाए॥
तोरि पिनाक किए दुई खण्डा।
रघुकुल हर्ष रावण मन शंका॥
आई है लिए संग सहेली।
हरिष निरख वरमाला मेली॥
गज मोतियन के चौक पुराए।
कनक कलश भरि मंगल गाए॥
कंचन थार कपुर की बाती।
सुर नर मुनि जन आये बराती॥
फिरत भांवरी बाजा बाजे।
सिया सहित रघुबीर विराजे॥
धनि-धनि राम लखन दोऊ भाई।
धनि-धनि दशरथ कौशल्या माई॥
राजा दशरथ जनक विदेही।
भरत शत्रुघन परम सनेही॥
मिथिलापुर में बजत बधाई।
दास मुरारी स्वामी आरती गाई॥