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"अकेला तू तभी / वीरेन डंगवाल" के अवतरणों में अंतर
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23:55, 2 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
तू तभी अकेला है जो बात न ये समझे
हैं लोग करोडों इसी देश में तुझ जैसे
धरती मिट्टी का ढेर नहीं है अबे गधे
दाना पानी देती है वह कल्याणी है
गुटरू-गूँ कबूतरों की, नारियल का जल
पहिये की गति, कपास के ह्रदय का पानी है
तू यही सोचना शुरू करे तो बात बने
पीडा की कठिन अर्गला को तोडें कैसे!