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"बादल जी / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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       कौये कोयल उड़ते|
 
       कौये कोयल उड़ते|
 
       इनके उड़ने से ही रिश्ते,
 
       इनके उड़ने से ही रिश्ते,
       भू सॆ नभ के जुड़ते||
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      धरती से संदेशा लेकर ,
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      धरती से संदेशा लेकर ,
      पंख पखेरु जाते|
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      गंगा कावेरी की चिठ्ठी,
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      गंगा कावेरी की चिठ्ठी,
      अंबर को दे आते|
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      अंबर को दे आते|
  
 
       पूरब से लेकर पश्चिम तक,
 
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       मेघों को बतलाते|
 
       मेघों को बतलाते|
  
      संदेशा सुनकर बाद‌लजी,
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      संदेशा सुनकर बाद‌लजी,
      हौले से मुस्कराते,
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      हौले से मुस्कराते|
      पानी बनकर झर झर झर,
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      पानी बनकर झर झर झर,
      धरती की प्यास बुझाते|</poem>
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      धरती की प्यास बुझाते|</poem>

11:03, 30 जून 2014 के समय का अवतरण

       तितली उड़ती,चिड़िया उड़ती,
       कौये कोयल उड़ते|
       इनके उड़ने से ही रिश्ते,
       भू सॆ नभ के जुड़ते|

       धरती से संदेशा लेकर ,
       पंख पखेरु जाते|
       गंगा कावेरी की चिठ्ठी,
       अंबर को दे आते|

       पूरब से लेकर पश्चिम तक,
       उत्तर दक्षिण जाते|
       भारत की क्या दशा हो रही ,
       मेघों को बतलाते|

       संदेशा सुनकर बाद‌लजी,
       हौले से मुस्कराते|
       पानी बनकर झर झर झर,
       धरती की प्यास बुझाते|