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"सूरज ज़रा आ पास आ / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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सूरज ज़रा आ पास आ
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<poem>सूरज ज़रा आ पास आ
 
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आज सपनों की रोटी पकाएंगे हम
 
आज सपनों की रोटी पकाएंगे हम
 
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आसमाँ ! तू बड़ा मेहरबां
अय आसमाँ ! तू बड़ा मेहरबाँ
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आज तुझ को भी दावत खिलाएंगे हम!
 
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आज तुझ को भी दावत खिलाएंगे हम
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चूल्हा है ठंडा पड़ा  
 
चूल्हा है ठंडा पड़ा  
 
 
और पेट में आग है
 
और पेट में आग है
 
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गरमा-गरम रोटीयाँ
गरमा-गरम रोटियाँ
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कितना हसीं ख़्वाब है!
 
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आलू टमाटर का साग
 
आलू टमाटर का साग
 
 
इमली की चटनी बने
 
इमली की चटनी बने
 
 
रोटी करारी सिके
 
रोटी करारी सिके
 
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घी उस पे असली लगे!
घी उस पे असली लगे !
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10:33, 28 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

सूरज ज़रा आ पास आ
आज सपनों की रोटी पकाएंगे हम
ऐ आसमाँ ! तू बड़ा मेहरबां
आज तुझ को भी दावत खिलाएंगे हम!

चूल्हा है ठंडा पड़ा
और पेट में आग है
गरमा-गरम रोटीयाँ
कितना हसीं ख़्वाब है!

आलू टमाटर का साग
इमली की चटनी बने
रोटी करारी सिके
घी उस पे असली लगे!