भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तुम्हारी बारिश / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='सज्जन' धर्मेन्द्र |संग्रह= }} {{KKCatKavita}...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
 
झिल्ली और मेढक पार्श्व संगीत देते हैं
 
झिल्ली और मेढक पार्श्व संगीत देते हैं
  
भीगी हुई सड़क से लौटती रोशनी तुम्हारी हँसी है
+
भीगी हुई सड़क से लौटती रोशनी  
 +
तुम्हारी हँसी है
  
 
तुमसे प्यार करना
 
तुमसे प्यार करना
मूसलाधार बारिश में गाड़ी चलाने जैसा क्यों था?
+
मूसलाधार बारिश में  
उस भीषण दुर्घटना में मौत से बच जाना अभिशाप था
+
अंधाधुंध गाड़ी चलाने जैसा क्यों था?
 +
 
 +
भीषण दुर्घटनाओं में मौत से बच जाना अभिशाप है
  
 
तुम्हारे बिना रहना हाथ पैरों के बगैर जीना है
 
तुम्हारे बिना रहना हाथ पैरों के बगैर जीना है
  
भीगी हुई रातरानी तुम्हारे भीगे हुए नाखून के बराबर भी नहीं है
+
भीगी हुई रातरानी  
 +
तुम्हारे भीगे हुए नाखून के बराबर भी नहीं है
  
 
भीगे हुए पहाड़ पर एक एक करके बुझती हुई बत्तियाँ
 
भीगे हुए पहाड़ पर एक एक करके बुझती हुई बत्तियाँ
पंक्ति 24: पंक्ति 28:
  
 
बारिश बंद हो गई है सड़कें सूख रही हैं
 
बारिश बंद हो गई है सड़कें सूख रही हैं
काश! एक बार फिर तुम बरसतीं मेरी आत्मा की नमी सूख जाने के पहले
+
काश! एक बार फिर तुम बरसतीं  
 +
मेरी नमी सूख जाने के पहले
 
</poem>
 
</poem>

17:11, 7 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

बारिश धीरे धीरे गुनगुनाती है
वो सारे गीत जो मैं तुम्हारे लिए गाया करता था
झिल्ली और मेढक पार्श्व संगीत देते हैं

भीगी हुई सड़क से लौटती रोशनी
तुम्हारी हँसी है

तुमसे प्यार करना
मूसलाधार बारिश में
अंधाधुंध गाड़ी चलाने जैसा क्यों था?

भीषण दुर्घटनाओं में मौत से बच जाना अभिशाप है

तुम्हारे बिना रहना हाथ पैरों के बगैर जीना है

भीगी हुई रातरानी
तुम्हारे भीगे हुए नाखून के बराबर भी नहीं है

भीगे हुए पहाड़ पर एक एक करके बुझती हुई बत्तियाँ
तुम्हारे गहने हैं जो मैंने उतारे थे एक एक कर

बारिश बंद हो गई है सड़कें सूख रही हैं
काश! एक बार फिर तुम बरसतीं
मेरी नमी सूख जाने के पहले