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"आरर-डाल / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
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सचमुच, इधर तुम्हारी याद तो नहीं आई, | सचमुच, इधर तुम्हारी याद तो नहीं आई, |
19:21, 5 जनवरी 2008 के समय का अवतरण
सचमुच, इधर तुम्हारी याद तो नहीं आई,
- झूठ क्या कहूँ । पूरे दिन मशीन पर खटना,
बासे पर आकर पड़ जाना और कमाई
- का हिसाब जोड़ना, बराबर चित्त उचटना ।
इस उस पर मन दौड़ाना । फिर उठ कर रोटी
- करना । कभी नमक से कभी साग से खाना ।
आरर डाल नौकरी है । यह बिल्कुल खोटी
- है । इसका कुछ ठीक नहीं है आना-जाना ।
आए दिन की बात है । वहाँ टोटा-टोटा
- छोड़ और क्या था । किस दिन क्या बेचा-कीना ।
कमी अपार कमी का ही था अपना कोटा,
- नित्य कुँआ खोदना तब कहीं पानी पीना ।
- धीरज धरो आज कल करते तब आऊँगा,
- जब देखूंगा अपने पुर कुछ कर पाऊंगा ।