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"वे किशोर नयन / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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10:59, 15 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
उसके वे नयन जो किशोर हैं,
रूप के विभोर जो चकोर हैं,
ऐसा कुछ
आज मुझे भा गए--
कि बावरा बना गए !
आह ! मुझे
प्यार की पुकार से
निहार गए,
और मुझे
म्लान हुए हार-सा
उतार गए ।