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"याद / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
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इधर | इधर | ||
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नहीं आयी | नहीं आयी | ||
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तुम्हारी याद | तुम्हारी याद | ||
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अपना चेहरा नहीं देखा इधर | अपना चेहरा नहीं देखा इधर | ||
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आईना देखता पर दाढी बनाने भर | आईना देखता पर दाढी बनाने भर | ||
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यूं | यूं | ||
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भूल सा जाने पर | भूल सा जाने पर | ||
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दुखी नहीं | दुखी नहीं | ||
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खुश भी नहीं | खुश भी नहीं | ||
− | + | कि चलो अच्छा हुआ | |
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नहीं | नहीं | ||
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डरता नहीं | डरता नहीं | ||
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कि इस तरह भूल ही जाउंगा कभी | कि इस तरह भूल ही जाउंगा कभी | ||
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अनुपस्थिति तुम्हारी | अनुपस्थिति तुम्हारी | ||
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कभी-कभी | कभी-कभी | ||
− | + | खडी हो जाती है | |
− | खडी हो जाती है | + | मुकाबिल |
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पडाड सी | पडाड सी | ||
− | + | मौसम बदलने को होता है | |
− | मौसम | + | |
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हरसिंगार | हरसिंगार | ||
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बिछ रहा होता है बाहर | बिछ रहा होता है बाहर | ||
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तब | तब | ||
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निर्द्वद्व होती तुम्हारी हंसी | निर्द्वद्व होती तुम्हारी हंसी | ||
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झड जाती है भीतर | झड जाती है भीतर | ||
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− | 3 | + | तुम्हारी उपस्थ्िाति |
− | + | एक वजनी पत्थर | |
− | तुम्हारी उपस्थ्िाति | + | उठाता तो पता चलता ताकत का |
− | + | उछाला नहीं जा सकता जिसे | |
− | एक | + | टिकाना होता है छाती पर |
− | + | तब गहराती है नींद । | |
− | उठाता | + | |
− | + | ||
− | उछाला नहीं जा सकता | + | |
− | + | ||
− | टिकाना होता है | + | |
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− | तब | + | |
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1997 | 1997 | ||
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06:58, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण
1
इधर
नहीं आयी
तुम्हारी याद
अपना चेहरा नहीं देखा इधर
आईना देखता पर दाढी बनाने भर
यूं
भूल सा जाने पर
दुखी नहीं
खुश भी नहीं
कि चलो अच्छा हुआ
नहीं
डरता नहीं
कि इस तरह भूल ही जाउंगा कभी
2
अनुपस्थिति तुम्हारी
कभी-कभी
खडी हो जाती है
मुकाबिल
पडाड सी
मौसम बदलने को होता है
हरसिंगार
बिछ रहा होता है बाहर
तब
निर्द्वद्व होती तुम्हारी हंसी
झड जाती है भीतर
3
तुम्हारी उपस्थ्िाति
एक वजनी पत्थर
उठाता तो पता चलता ताकत का
उछाला नहीं जा सकता जिसे
टिकाना होता है छाती पर
तब गहराती है नींद ।
1997