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"युग की नब्ज़ धरो / गोरख पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर

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अफ़रीका, लातिन अमेरिका
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उत्पीड़ित हर अंग एशिया
 
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आदमखोरों की निगाह में
 
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जन-मन के विशाल सागर में
 
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फैल प्रबल झंझा के स्वर में
 
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चरण-चरण विप्लव की गति दो
 
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श्रम की भट्ठी में गल-गलकर
 
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जग के मुक्ति-चित्र में ढलकर
 
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बन स्वच्छंद सर्वहारा के
 
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ध्वज के संग लहरो !
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शोषण छल-छंदों के गढ़ पर
 
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टूट पडो नफ़रत सुलगाकर
 
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क्रुद्ध अमन के राग , युद्ध के
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क्रुद्ध अमन के राग, युद्ध के
पन्नों से गुज़रो !
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उलटे अर्थ विधान तोड़ दो
 
उलटे अर्थ विधान तोड़ दो

16:41, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

अफ़रीका, लातिन अमेरिका
उत्पीड़ित हर अंग एशिया
आदमखोरों की निगाह में
खंजर-सी उतरो!

जन-मन के विशाल सागर में
फैल प्रबल झंझा के स्वर में
चरण-चरण विप्लव की गति दो
लय-लय प्रलय करो!

श्रम की भट्ठी में गल-गलकर
जग के मुक्ति-चित्र में ढलकर
बन स्वच्छंद सर्वहारा के
ध्वज के संग लहरो!

शोषण छल-छंदों के गढ़ पर
टूट पडो नफ़रत सुलगाकर
क्रुद्ध अमन के राग, युद्ध के
पन्नों से गुज़रो!

उलटे अर्थ विधान तोड़ दो
शब्दों से बारूद जोड़ दो
अक्षर-अक्षर पंक्ति-पंक्ति को
छापामार करो!