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छोटा सा बलमा मोरे</div>
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
  
 
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रचनाकार: [[कांतिमोहन 'सोज़']]
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
 
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छोटा सा बलमा मोरे
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
आँगना में गिल्ली खेले।
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अपरिचित पास आओ
  
पनिया भरन जाऊँ वो कहे
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
मोहे गोदी ले ले।
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
छोटा सा बलमा मोरे
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
आँगना में गिल्ली खेले॥
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
  
गोदी उठाऊँ तो वो
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सबमें अपनेपन की माया
यूँ कहे मोहे ले चल मेले।
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अपने पन में जीवन आया
छोटा सा बलमा मोरे
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आँगना में गिल्ली खेले॥
+
 
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मेले ले जाऊँ तो
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जुल्मी कहे कहीं चल अकेले।
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छोटा सा बलमा मोरे
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आँगना में गिल्ली खेले॥
+
 
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कैसे बताऊँ मेरी
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जान को हैं सौ झमेले।
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छोटा सा बलमा मोरे
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आँगना में गिल्ली खेले॥
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16:11, 21 जनवरी 2015 का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

Kk-poem-border-1.png

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया