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"तोप / वीरेन डंगवाल" के अवतरणों में अंतर
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कम्पनी बाग़ के मुहाने पर | कम्पनी बाग़ के मुहाने पर | ||
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धर रखी गई है यह 1857 की तोप | धर रखी गई है यह 1857 की तोप | ||
इसकी होती है बड़ी सम्हाल | इसकी होती है बड़ी सम्हाल | ||
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विरासत में मिले | विरासत में मिले | ||
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कम्पनी बाग की तरह | कम्पनी बाग की तरह | ||
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साल में चमकायी जाती है दो बार | साल में चमकायी जाती है दो बार | ||
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सुबह-शाम कम्पनी बाग में आते हैं बहुत से सैलानी | सुबह-शाम कम्पनी बाग में आते हैं बहुत से सैलानी | ||
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उन्हें बताती है यह तोप | उन्हें बताती है यह तोप | ||
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कि मैं बड़ी जबर | कि मैं बड़ी जबर | ||
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उड़ा दिये थे मैंने | उड़ा दिये थे मैंने | ||
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अच्छे-अच्छे सूरमाओं के छज्जे | अच्छे-अच्छे सूरमाओं के छज्जे | ||
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अपने ज़माने में | अपने ज़माने में | ||
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अब तो बहरहाल | अब तो बहरहाल | ||
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छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फारिग हो | छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फारिग हो | ||
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तो उसके ऊपर बैठकर | तो उसके ऊपर बैठकर | ||
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चिड़ियाँ ही अकसर करती हैं गपशप | चिड़ियाँ ही अकसर करती हैं गपशप | ||
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कभी-कभी शैतानी में वे इसके भीतर भी घुस जाती हैं | कभी-कभी शैतानी में वे इसके भीतर भी घुस जाती हैं | ||
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ख़ासकर गौरैयें | ख़ासकर गौरैयें | ||
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वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप | वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप | ||
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एक दिन तो होना ही है उनका मुँह बन्द ! | एक दिन तो होना ही है उनका मुँह बन्द ! | ||
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18:27, 18 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
कम्पनी बाग़ के मुहाने पर
धर रखी गई है यह 1857 की तोप
इसकी होती है बड़ी सम्हाल
विरासत में मिले
कम्पनी बाग की तरह
साल में चमकायी जाती है दो बार
सुबह-शाम कम्पनी बाग में आते हैं बहुत से सैलानी
उन्हें बताती है यह तोप
कि मैं बड़ी जबर
उड़ा दिये थे मैंने
अच्छे-अच्छे सूरमाओं के छज्जे
अपने ज़माने में
अब तो बहरहाल
छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फारिग हो
तो उसके ऊपर बैठकर
चिड़ियाँ ही अकसर करती हैं गपशप
कभी-कभी शैतानी में वे इसके भीतर भी घुस जाती हैं
ख़ासकर गौरैयें
वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप
एक दिन तो होना ही है उनका मुँह बन्द !