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22:10, 2 जून 2017 का अवतरण
आकाश मात्रै नहेर
धरती पनि हेर्नुपर्छ
धरतीले मानिसलाई सारै माया गर्छ
जति नै तारा आकाशमा छन्
त्यति नै थोपा यहाँ पानी पर्छ,
त्यति नै बिरुवा यहाँ सर्छ
क्षितिज जतिजति टाढिंदै जान्छ
पाइला त्यति त्यति नै यहाँ सर्छ
कहीँ बत्ती बल्दै बल्दै जान्छ,
कहीँ बत्ती निभ्दै निभ्दै जान्छ
तर पयर मानिसको सर्दै सर्दै जान्छ।