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"वन्दना / जयशंकर प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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निर्विकार लीलामय ! तेरी शक्ति न जानी जाती है  
 
निर्विकार लीलामय ! तेरी शक्ति न जानी जाती है  
 
ओतप्रोत हो तो भी सबकी वाणी गुण-गुना गाती है
 
ओतप्रोत हो तो भी सबकी वाणी गुण-गुना गाती है
गद़गद़-हृदय-निःसृता यह भी वाणी दौड़ी जाती है
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गदगद्-हृदय-निःसृता यह भी वाणी दौड़ी जाती है
 
प्रभु ! तेरे चरणों में पुलकित होकर प्रणति जनाती है
 
प्रभु ! तेरे चरणों में पुलकित होकर प्रणति जनाती है
 
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12:23, 2 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

जयति प्रेम-निधि ! जिसकी करूणा नौका पार लगाती है
जयति महासंगीत ! विश्‍व-वीणा जिसकी ध्वनि गाती है
कादम्‍िबनी कृपा की जिसकी सुधा-नीर बरसाती है
भव-कानन की धरा हरित हो जिससे शोभा पाती है

निर्विकार लीलामय ! तेरी शक्ति न जानी जाती है
ओतप्रोत हो तो भी सबकी वाणी गुण-गुना गाती है
गदगद्-हृदय-निःसृता यह भी वाणी दौड़ी जाती है
प्रभु ! तेरे चरणों में पुलकित होकर प्रणति जनाती है