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Kavita Kosh से
निर्विकार लीलामय ! तेरी शक्ति न जानी जाती है
ओतप्रोत हो तो भी सबकी वाणी गुण-गुना गाती है
प्रभु ! तेरे चरणों में पुलकित होकर प्रणति जनाती है
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