भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ऐ मालिक तेरे बंदे हम / भजन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKBhaktiKavya |रचनाकार= }} ऐ मालिक तेरे बंदे हम<br> ऐसे हो हमारे करम<br> नेकी पर चलें<br> औ...) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
|रचनाकार= | |रचनाकार= | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatGeet}} | ||
+ | <poem> | ||
+ | ऐ मालिक तेरे बंदे हम | ||
+ | ऐसे हो हमारे करम | ||
+ | नेकी पर चलें | ||
+ | और बदी से टलें | ||
+ | ताकि हंसते हुये निकले दम | ||
− | + | जब ज़ुलमों का हो सामना | |
− | + | तब तू ही हमें थामना | |
− | + | वो बुराई करें | |
− | और | + | हम भलाई भरें |
− | + | नहीं बदले की हो कामना | |
+ | बढ़ उठे प्यार का हर कदम | ||
+ | और मिटे बैर का ये भरम | ||
+ | नेकी पर चलें | ||
− | + | ये अंधेरा घना छा रहा | |
− | + | तेरा इनसान घबरा रहा | |
− | + | हो रहा बेखबर | |
− | + | कुछ न आता नज़र | |
− | + | सुख का सूरज छिपा जा रहा | |
− | + | है तेरी रोशनी में वो दम | |
− | + | जो अमावस को कर दे पूनम | |
− | नेकी पर चलें | + | नेकी पर चलें |
− | + | बड़ा कमज़ोर है आदमी | |
− | + | अभी लाखों हैं इसमें कमीं | |
− | + | पर तू जो खड़ा | |
− | + | है दयालू बड़ा | |
− | + | तेरी कृपा से धरती थमी | |
− | + | दिया तूने हमें जब जनम | |
− | + | तू ही झेलेगा हम सबके ग़म | |
− | + | नेकी पर चलें</poem> | |
− | + | ||
− | बड़ा कमज़ोर है आदमी | + | |
− | अभी लाखों हैं इसमें कमीं | + | |
− | पर तू जो खड़ा | + | |
− | है दयालू बड़ा | + | |
− | तेरी कृपा से धरती थमी | + | |
− | दिया तूने हमें जब जनम | + | |
− | तू ही झेलेगा हम सबके ग़म | + | |
− | नेकी पर चलें | + |
11:04, 30 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
रचनाकार: |
ऐ मालिक तेरे बंदे हम
ऐसे हो हमारे करम
नेकी पर चलें
और बदी से टलें
ताकि हंसते हुये निकले दम
जब ज़ुलमों का हो सामना
तब तू ही हमें थामना
वो बुराई करें
हम भलाई भरें
नहीं बदले की हो कामना
बढ़ उठे प्यार का हर कदम
और मिटे बैर का ये भरम
नेकी पर चलें
ये अंधेरा घना छा रहा
तेरा इनसान घबरा रहा
हो रहा बेखबर
कुछ न आता नज़र
सुख का सूरज छिपा जा रहा
है तेरी रोशनी में वो दम
जो अमावस को कर दे पूनम
नेकी पर चलें
बड़ा कमज़ोर है आदमी
अभी लाखों हैं इसमें कमीं
पर तू जो खड़ा
है दयालू बड़ा
तेरी कृपा से धरती थमी
दिया तूने हमें जब जनम
तू ही झेलेगा हम सबके ग़म
नेकी पर चलें