भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं / भजन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKBhaktiKavya |रचनाकार= }} तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं ।<br><br> देख लिया जग सारा ...) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | {{ | + | {{KKGlobal}} |
+ | {{KKBhajan | ||
|रचनाकार= | |रचनाकार= | ||
}} | }} | ||
− | |||
तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं ।<br><br> | तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं ।<br><br> | ||
20:09, 17 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण
तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं ।
देख लिया जग सारा मैने तेरे जैसा मीत नहीं ।
तेरे जैसा प्रबल सहारा तेरे जैसी प्रीत नहीं ।
किन शब्दों में आपकी महिमा गाऊं मैं ॥
अपने पथ पर आप चलूं मैं मुझमे इतना ज्ञान नहीं ।
हूँ मति मंद नयन का अंधा भला बुरा पहचान नहीं ।
हाथ पकड़ कर ले चलो ठोकर खाऊं मैं ॥