भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मौसम आया पानी का / लाला जगदलपुरी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
					
										
					
					 ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाला जगदलपुरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)  | 
				|||
| पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
}}  | }}  | ||
{{KKCatBaalKavita}}  | {{KKCatBaalKavita}}  | ||
| − | <poem>  | + | <poem>बादल गरजे, धूम मची,  | 
| − | + | गरमी बीती जान बची,  | |
| − | + | आँखों में हरियाली है,  | |
| − | + | बातों में खुशहाली है,  | |
| − | + | बूँदों का स्वर ऐसा है,  | |
| − | + | जैसे गुड्डी रानी का!  | |
| − | + | मौसम आया पानी का!  | |
| − | + | सँभले पाँव किसानों के,  | |
| − | + | बदले गाँव किसानों के,  | |
| − | + | चहल-पहल है खेतों में,  | |
| − | + | जल ही जल है खेतों में,  | |
| − | + | धरती ऐसे भीज गई है,  | |
| − | + | जैसे आँचल नानी का!  | |
| − | + | मौसम आया पानी का!  | |
| − | + | ||
| − | + | ||
| − | + | ||
| − | + | ||
| − | + | ||
| − | + | ||
</poem>  | </poem>  | ||
10:02, 3 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण
बादल गरजे, धूम मची,
गरमी बीती जान बची,
आँखों में हरियाली है,
बातों में खुशहाली है,
बूँदों का स्वर ऐसा है,
जैसे गुड्डी रानी का!
मौसम आया पानी का!
सँभले पाँव किसानों के,
बदले गाँव किसानों के,
चहल-पहल है खेतों में,
जल ही जल है खेतों में,
धरती ऐसे भीज गई है,
जैसे आँचल नानी का!
मौसम आया पानी का!
	
	