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"दो : पत्नी के लिए / धूमिल" के अवतरणों में अंतर

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तुम एक सुन्दर और सार्थक
 
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00:17, 5 फ़रवरी 2008 के समय का अवतरण

देह तो आत्मा तक जाने के लिए सुरंग है ।

रास्ता है ।

तुम्हारी उंगलियाँ जैसे कविता की

गतिशील पंक्तियाँ हैं ।

तुम्हारी आँखें कविता की गम्भीर

किन्तु कोमल कल्पना है

तुम्हारा चेहरा

जैसे कविता की
ज़मीन है

तुम एक सुन्दर और सार्थक

कविता हो मेरे लिए ।