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"लसत ललित सारी हिये / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर

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15:23, 30 जनवरी 2016 का अवतरण

लसत ललित सारी हिये मंजुल माल अमंद।
जयति सदा श्री राधिका सह माधव वृज चन्द॥
सह माधव वृज चन्द सदा विहरत वृज माहीं।
कालिन्दी के कूल सूल भव रहत न जाहीं॥
बद्री नारायन भोरहि उठि दोउ पागे रस।
दोउ मुख ऊपर छुटे केश नैनन मैं आलस॥