भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लसत ललित सारी हिये / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=युगमंगलस्तोत्र / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
 
|संग्रह=युगमंगलस्तोत्र / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
 
}}
 
}}
{{KKCatKavita}}
+
{{KKCatBrajBhashaRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
 
लसत ललित सारी हिये मंजुल माल अमंद।
 
लसत ललित सारी हिये मंजुल माल अमंद।

12:46, 2 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

लसत ललित सारी हिये मंजुल माल अमंद।
जयति सदा श्री राधिका सह माधव वृज चन्द॥
सह माधव वृज चन्द सदा विहरत वृज माहीं।
कालिन्दी के कूल सूल भव रहत न जाहीं॥
बद्री नारायन भोरहि उठि दोउ पागे रस।
दोउ मुख ऊपर छुटे केश नैनन मैं आलस॥