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"आज की रात / मजाज़ लखनवी" के अवतरणों में अंतर

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मेरे शाने पै'''<sup>1</sup>''' है उस शोख़ का सर आज की रात
 
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और क्या चाहिए अब ऐ दिले-मजरुह!'''<sup>2</sup>''' तुझे
 
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उसने देखा तो ब-अन्दाज़े दिगर आज की रात
 
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नूर'''<sup>3</sup>'''-ही-नूर है जिस सिम्त'''<sup>4</sup>''' उठाऊँ आँख
 
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हुस्न-ही-हुस्न है, ताहद्दे-नज़र'''<sup>5</sup>'''  आज की रात
 
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अल्लाह-अल्लाह वह पेशानिए-सीमीं का जमाल'''<sup>6</sup>'''
 
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रह गई जम के सितारों की नज़र आज की रात
 
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नग़्मा-ओ-मै का'''<sup>7</sup>''' यह तूफ़ाने-तरब'''<sup>8</sup>''' क्या कहिए!
 
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घर मेरा बन गया ख़ैय्याम का घर आज की रात
 
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अपनी रफ़अ़त पै जो नाज़ाँ'''<sup>9</sup>''' हैं तो नाज़ाँ ही रहें
 
अपनी रफ़अ़त पै जो नाज़ाँ'''<sup>9</sup>''' हैं तो नाज़ाँ ही रहें
  
 
कह दो अंजुम से'''<sup>10</sup>''' कि देखें न इधर आज की रात
 
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उनके अल्ताफ़ का'''<sup>11</sup>''' इतना ही फ़सूँ'''<sup>12</sup>''' काफ़ी है
 
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13:42, 19 अप्रैल 2008 के समय का अवतरण

देखना जज़्बे-मुहब्बत का असर आज की रात

मेरे शाने पै1 है उस शोख़ का सर आज की रात


और क्या चाहिए अब ऐ दिले-मजरुह!2 तुझे

उसने देखा तो ब-अन्दाज़े दिगर आज की रात


नूर3-ही-नूर है जिस सिम्त4 उठाऊँ आँख

हुस्न-ही-हुस्न है, ताहद्दे-नज़र5 आज की रात


अल्लाह-अल्लाह वह पेशानिए-सीमीं का जमाल6

रह गई जम के सितारों की नज़र आज की रात


नग़्मा-ओ-मै का7 यह तूफ़ाने-तरब8 क्या कहिए!

घर मेरा बन गया ख़ैय्याम का घर आज की रात


अपनी रफ़अ़त पै जो नाज़ाँ9 हैं तो नाज़ाँ ही रहें

कह दो अंजुम से10 कि देखें न इधर आज की रात


उनके अल्ताफ़ का11 इतना ही फ़सूँ12 काफ़ी है

कम है पहले से बहुत दर्दे-जिगर आज की रात



1कन्धे पर; 2घायल हृदय; 3प्रकाश; 4तरफ़; 5 जहाँ तक नज़र जाती है; 6धवल मस्तक का निखार; 7संगीत और सुरा का; 8आनन्दमयी समाँ; 9ऊँचाई पर गर्वित; 10नक्षत्रों से; 11कृपाओं का; 12जादू