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गीत नही समझो इनको, ये मेरे मन के मीत हैं।
+
काश! कभी ऐसा होता कि हम तुमको अपना कह लेते
  
चटक फागुनी रंग लिये कभी
+
याद तुम्हारी वनफूलों सी
शरद सा सकुचाते हैं
+
महकाती है अंतर्मन को
गर्मी का आतप दिखे कभी
+
भावों की कोमल अंगड़ाई
सावन सा लहराते हैं
+
बहकाती है कोमल तन को
मौसम के आने जाने का दिखलाते ये रीत हैं
+
काश! कभी अपनी पलकों से हम तेरा अर्चन कर लेते
गीत नही समझो इनको ये मेरे मन के मीत हैं
+
काश! कभी ऐसा होता कि हम तुमको अपना कह लेते
  
माटी की है गंध कभी तो
+
तेरी साँसों की वीणा पर
चूल्हे की है आग भी
+
सजना चाहूँ सरगम बनकर
चिड़ियों की चहचह है इसमें
+
तेरे अंतस के आँगन में
रुनझुन पायल राग भी
+
बसना चाहूँ धड़कन बनकर
जग में बहते जीवन का ये सुनवाते संगीत हैं
+
काश! कभी मेरे सपनोँ को तुम अपना अवलम्बन देते
गीत नही समझो इनको ये मेरे मन के मीत हैं
+
काश! कभी ऐसा होता कि हम तुमको अपना कह लेते
  
हँसी लिए कभी भाभी की तो
+
मेरे सपनोँ की नियति ज्यूँ
कभी सास फटकार है
+
लहरों का तट से टकराना
चाँद रात मनुहार पिया कभी
+
हरपल टूटे पागल मन से
कनखी साजन प्यार है
+
तेरे छल को प्रीत बताना
नैनों से मिल नैनों में ही रचवाते ये प्रीत हैं
+
काश! कभी मेरी बाँहों में तुम अपना सब अर्पण करते
गीत नही समझो इनको ये मेरे मन के मीत हैं।
+
काश! कभी ऐसा होता कि हम तुमको अपना कह लेते...
 
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11:10, 2 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

काश! कभी ऐसा होता कि हम तुमको अपना कह लेते

याद तुम्हारी वनफूलों सी
महकाती है अंतर्मन को
भावों की कोमल अंगड़ाई
बहकाती है कोमल तन को
काश! कभी अपनी पलकों से हम तेरा अर्चन कर लेते
काश! कभी ऐसा होता कि हम तुमको अपना कह लेते

तेरी साँसों की वीणा पर
सजना चाहूँ सरगम बनकर
तेरे अंतस के आँगन में
बसना चाहूँ धड़कन बनकर
काश! कभी मेरे सपनोँ को तुम अपना अवलम्बन देते
काश! कभी ऐसा होता कि हम तुमको अपना कह लेते

मेरे सपनोँ की नियति ज्यूँ
लहरों का तट से टकराना
हरपल टूटे पागल मन से
तेरे छल को प्रीत बताना
काश! कभी मेरी बाँहों में तुम अपना सब अर्पण करते
काश! कभी ऐसा होता कि हम तुमको अपना कह लेते...