भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अन्नदाता / गुंजनश्री" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुंजन श्री |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatMai...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) छो (Sharda suman ने अन्नदाता / गुंजन श्री पर पुनर्निर्देश छोड़े बिना उसे अन्नदाता / गुंजनश्री पर स्थानां...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:58, 5 मार्च 2017 के समय का अवतरण
राति सुतय काल
कहैत छली-
यौ! आई चिक्कस
सनैत काल
अभरैत छल
शोणित,
बड्ड दुरदुरेलियैक
मुदा नै हटल फराक
अंत मे सानि देलियैक
आ खुआ देलहूँ आहाँके
कोन ठीक
आहाँक ठंढायल शोणित मे
जीबि जाइ
एकटा हारि क' मरल
अन्नदाता के
जिनगी
आ आहाँ बनि जाइ
राजपशु स' नर वा
मशीन स' मनुक्ख
किन्सैत!