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"उसका आलिंगन / रति सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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उसने बाहें फैलाईं  
 
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वह डूबने लगी
 
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समन्दर बनती माँसपेशियों में
 
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चुनने लगी सीप-घोंघे
 
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उसकी बाहे फैली रही  
 
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वह लेटी रही
 
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गुनगुनी रेत पर
 
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धूप में भीगती हुई-सी
 
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इस बार फिर बढ़ी उसकी बाहे
 
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वह खोजती रही
 
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ख़ुद को
 
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चट्टान होती मांसपेशियों में
 
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अब वह टटोल रही है
 
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घुप्प अंधेरे में
 
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लौटती बाहों में चिपके
 
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अपने आत्मविश्वास को।
 
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18:21, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

उसने बाहें फैलाईं
वह डूबने लगी
समन्दर बनती माँसपेशियों में
चुनने लगी सीप-घोंघे
उसकी बाहे फैली रही
वह लेटी रही
गुनगुनी रेत पर
धूप में भीगती हुई-सी
इस बार फिर बढ़ी उसकी बाहे

वह खोजती रही
ख़ुद को
चट्टान होती मांसपेशियों में
अब वह टटोल रही है

घुप्प अंधेरे में
लौटती बाहों में चिपके
अपने आत्मविश्वास को।