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18:48, 31 मई 2017 के समय का अवतरण
एक मनभरि सम्झना
दुई आँखाभरि तिर्सना
अलिकति मुस्कान र
केही खुम्च्याइहरू निधारका
बोकेर अएको छ, एउटा दिन।
बिहान ऐना धमिल्याएर
दिउसो घाम छेकेर
साँझमा क्षितिज बालेर
रातभरि मुटु दुखाएर, तकिया भिजाएर ।
दिन बित्दै जाँदा
उमेर ढल्दै जाँदा
सायद,
यस्तै गरी आउने गर्छ
भ्यालेन्टाइन्स डे ।