भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मारी महिसागर नी आरे ढोल/गुजराती लोक गरबा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे वागे छे ढोल वागे छे .... गाम गाम ना सोनीडा ...)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKLokRachna
 +
|रचनाकार=अज्ञात
 +
}}
 +
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
 +
|भाषा=गुजराती
 +
}}
 +
 
मारी  महिसागर नी आरे ढोल वागे छे  
 
मारी  महिसागर नी आरे ढोल वागे छे  
  

18:10, 13 जुलाई 2008 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे

वागे छे ढोल वागे छे ....


गाम गाम ना सोनीडा आवे छे

आवे छे हूँ लावे छे

मारी माँ नी नथनियु लावे छे

मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे


गाम गाम ना सुथारी आवे छे

आवे छे हूँ लावे छे

मारी माँ नो बाजटीयो लावे छे

मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे


गाम गाम ना डोशीडा आवे छे

आवे छे हूँ लावे छे

मारी माँ नी चुन्दरियु लावे छे

मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे


मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे

वागे छे ढोल वागे छे ....