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"डाली डाली फूल फुल्यो पात पात म फुलें / हरिभक्त कटुवाल" के अवतरणों में अंतर
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किन होला हिजोआज बरालिन्छ मन यो | किन होला हिजोआज बरालिन्छ मन यो | ||
− | जति | + | जति बाँधिराखूँ भन्छु उति उड्छ मन यो |
− | + | छाया एउटा सँगै डुल्छ जहाँ जहाँ म डुलेँ | |
− | फूल भूल्यो भँमरामा कुन्नि केमा म | + | फूल भूल्यो भँमरामा कुन्नि केमा म भूलेँ |
− | को हो | + | को हो छाया बनी हिँड्ने भनिदिने को होला |
जिन्दगीको साथी मेरो बनिदिने को होला | जिन्दगीको साथी मेरो बनिदिने को होला | ||
− | वसन्तमा वन फुल्यो कुन्नि कहिले म | + | वसन्तमा वन फुल्यो कुन्नि कहिले म फुलेँ |
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20:31, 2 सितम्बर 2023 के समय का अवतरण
डाली डाली फूल फुल्यो पात पात म फुलेँ
फूल भूल्यो भँमरामा कुन्नि केमा म भूलेँ
किन होला हिजोआज बरालिन्छ मन यो
जति बाँधिराखूँ भन्छु उति उड्छ मन यो
छाया एउटा सँगै डुल्छ जहाँ जहाँ म डुलेँ
फूल भूल्यो भँमरामा कुन्नि केमा म भूलेँ
को हो छाया बनी हिँड्ने भनिदिने को होला
जिन्दगीको साथी मेरो बनिदिने को होला
वसन्तमा वन फुल्यो कुन्नि कहिले म फुलेँ
फूल भूल्यो भँमरामा कुन्नि केमा म भूलेँ