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"अलौकिक थी पहली छुअन / सुरेश चंद्रा" के अवतरणों में अंतर
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अंतिम चुंबन तक | अंतिम चुंबन तक | ||
हम देह पर देहिल गंध | हम देह पर देहिल गंध | ||
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अतृप्तता के अरण्य से | अतृप्तता के अरण्य से |
16:37, 19 अक्टूबर 2017 का अवतरण
अलौकिक थी
पहली छुअन
निष्पाप, निश्छल
आद्र दृष्टि के साक्ष्य मे
अंतिम चुंबन तक
हम देह पर देहिल गंध
अनुबंध मात्र रह गये
अतृप्तता के अरण्य से
उकताहट की ऊभ-चूभ में
विलुप्त होते हुये
एक अंतहीन असमंजस
अनंत आपाधापी लिये
हम दोनों प्रेम मे
प्रेम के अपराधी हो चुके थे !!