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* [[अब खता होगी न कोई न शरारत होगी / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
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* [[अब ये ठानी है कि दुनिया में उसे रुसवा करें / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
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* [[आँखों से अभी अश्क रवाँ लब पे फ़ुग़ाँ है / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
* [[आपकी शोलमिज़ाजी को अदा मानते हैं / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
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* [[आप क्यूँ शर्मसार होते हैं / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
* [[आप क्यूँ शर्मसार होते हैं / कांतिमोहन 'सोज़']]

18:52, 21 अक्टूबर 2017 का अवतरण


ग़ज़ल की सुरंगें
रचनाकार कांतिमोहन 'सोज़'
प्रकाशक
वर्ष 1988
भाषा हिन्दी
विषय हास्य-व्यंग्य की ग़ज़लें
विधा
पृष्ठ 80
ISBN
विविध
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