भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कंजक / आरती तिवारी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आरती वर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
छो (Sharda suman ने कंजक / आरती वर्मा पृष्ठ कंजक / आरती तिवारी पर स्थानांतरित किया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:45, 15 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

बड़े घरों की बेटियाँ
रेशमी परिधानों की छटा बिखेर
जा चुकी हैं मुंह जूठा करके
और कुछ
और बच्चियां सिर्फ चख के
चली गईं

कुम्हलाए,बुझे चेहरो पर
उत्सव की गुलाल लिए
सेठों के बच्चों की उतरन
मटमैले रंगों के
सीवन उधड़े कपड़ों में
जो डोलती हैं दिन भर
इधर से उधर

ये मज़दूरों की छोरियाँ
लप लप खाये जा रही हैं खीर
और ऐसे कि कोई देख न ले

इनकी बन आई है इन दिनों
सप्तमी,अष्टमी नवमी
जीमेंगी भरपूर
करेंगी तृप्त पुण्यात्मा सेठानी को

ज्वारों में खिलती है
एक हरी किलकारी

इनमें भी वही
हाँ वही तो है
शक्तिरूपा ब्रम्हचारिणी