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"प्रीति करि काहु सुख न लह्यो।/ सूरदास" के अवतरणों में अंतर
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प्रीति करि काहु सुख न लह्यो। | प्रीति करि काहु सुख न लह्यो। | ||
17:20, 24 मई 2009 के समय का अवतरण
प्रीति करि काहु सुख न लह्यो।
प्रीति पतंग करी दीपक सों, आपै प्रान दह्यो॥
अलिसुत प्रीति करी जलसुत सों, संपति हाथ गह्यो।
सारँग प्रीति करी जो नाद सों, सन्मुख बान सह्यो॥
हम जो प्रीति करि माधव सों, चलत न कछु कह्यो।
'सूरदास' प्रभु बिनु दुख दूनो, नैननि नीर बह्यो॥