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"फुटकर शेर / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

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1.हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले
 
1.हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले
 
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
 
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
 
  
 
2.यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं,
 
2.यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं,
 
   अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो।
 
   अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो।
 
  
 
3.हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
 
3.हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
 
   दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है।
 
   दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है।
 
  
 
4.उनको देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक,
 
4.उनको देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक,
 
   वो समझते हैं के बीमार का हाल अच्छा है।
 
   वो समझते हैं के बीमार का हाल अच्छा है।
 
  
 
5.इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब',
 
5.इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब',
 
   कि  लगाये  न  लगे  और  बुझाये  न  बुझे।
 
   कि  लगाये  न  लगे  और  बुझाये  न  बुझे।
 
 
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20:26, 21 जनवरी 2018 के समय का अवतरण

1.हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।

2.यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं,
  अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो।

3.हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
  दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है।

4.उनको देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक,
  वो समझते हैं के बीमार का हाल अच्छा है।

5.इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब',
  कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे।