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"काव्य गोष्ठी सह पुस्तक समीक्षात्मक चर्चा (04 फ़रवरी 2018)" के अवतरणों में अंतर

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इस कार्यक्रम में [[कस्तूरी झा 'कोकिल']] (बेगूसराय), [[दीनानाथ सुमित्र]] (बेगूसराय), अवधेश्वर प्रसाद सिंह (समस्तीपुर), [[अनिरुद्ध प्रसाद विमल]] (बांका), अश्विनी प्रजावंशी (बांका), [[कैलाश झा 'किंकर']] (खगड़िया), राजकिशोर सिंह (बेगुसराय) ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान (नालंदा), डॉ अनिता सिंह (मुजफ्फरपुर), रामा मौसम (बेगूसराय), [[माधवी चौधरी]] (भागलपुर), [[रंजन कुमार झा]] (बेगूसराय), विकास (मुंगेर), रूपम झा (बेगूसराय), राहुल शिवाय (बेगूसराय) ने अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिह्न प्रदान किया गया। कवयित्री रंजना सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
  
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23:18, 5 मार्च 2018 के समय का अवतरण

कविता कोश सूत्र कार्यक्रम के अंतर्गत विकास विद्यालय, डुमरी, बेगूसराय के परिसर में सस्वर काव्य पाठ सह "गुनगुनाएं गीत फिर से" पुस्तक पर समीक्षा गोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि दयानन्द जायसवाल जी ने किया और अध्यक्षता प्रखर आलोचक डॉ भगवान प्रसाद सिन्हा ने की। विकास विद्यालय के निदेशक राजकिशोर जी और श्याम नंदन झा ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए राहुल शिवाय ने कविता कोश को भारतीय संस्कृति का संरक्षक और एकता व स्वयंसेवा का प्रत्यक्ष उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कविता कोश में एक ओर जहाँ आदिकवि की रचनाएँ संरक्षित हैं वहीं राहुल शिवाय की कल की लिखी कविता भी संकलित हैं। कविता कोश ने विभिन्न भाषाओं के लोकगीत और रचनाओं को एक सुव्यवस्थित रूप में सामने लाने का प्रयास किया है। प्रलेस के राष्ट्रीय महासचिव श्री राजेन्द्र राजन ने अपने समीक्षात्मक वक्तव्य में कविता के सूत्रपात से लेकर उसके विभिन्न आयामों को सामने रखा।

इस कार्यक्रम में कस्तूरी झा 'कोकिल' (बेगूसराय), दीनानाथ सुमित्र (बेगूसराय), अवधेश्वर प्रसाद सिंह (समस्तीपुर), अनिरुद्ध प्रसाद विमल (बांका), अश्विनी प्रजावंशी (बांका), कैलाश झा 'किंकर' (खगड़िया), राजकिशोर सिंह (बेगुसराय) ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान (नालंदा), डॉ अनिता सिंह (मुजफ्फरपुर), रामा मौसम (बेगूसराय), माधवी चौधरी (भागलपुर), रंजन कुमार झा (बेगूसराय), विकास (मुंगेर), रूपम झा (बेगूसराय), राहुल शिवाय (बेगूसराय) ने अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिह्न प्रदान किया गया। कवयित्री रंजना सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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