भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अपनी माँ के लिए / हेनरिख हायने" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेनरिख हायने |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 26: | पंक्ति 26: | ||
वहाँ झलक रहा था मेरा चिर-वांछित प्यार | वहाँ झलक रहा था मेरा चिर-वांछित प्यार | ||
− | '''रूसी भाषा से अनुवाद : [[अनिल जनविजय]]''' | + | '''हाइनरिष हाइने की कविता का रूसी भाषा से अनुवाद : [[अनिल जनविजय]]''' |
</poem> | </poem> |
17:34, 12 मई 2018 के समय का अवतरण
छोड़ दिया था मैंने तुझको अनजाने में
चाहा था जाना दुनिया के अन्तिम छोर
भटक रहा था खोज में उसकी यहाँ-वहाँ
बाँहों में लेना चाहा था प्यार को घनघोर
गली-कूचों में मैंने अपना प्यार तलाशा
दर-दर फैलाए हाथ और खोजी आशा
भीख माँगी, सोचा अपना प्यार बचा लूँ
हँसे सब, मुझे घृणा मिली औ’ हताशा
ग़लत किया था मैंने प्यार का अहसास
प्रेम से जोड़ी थी मैंने जीवन की आस
पर प्रेम ने छिटकाया मुझे ख़ुद से दूर
घर लौट आया मैं बीमार औ’ उदास
तभी हुई तुझ से कहीं मुलाक़ात मेरी
आँखों में तेरी दिखा मुझे प्रेम का अहेरी
मधुर प्रेम पाने को तेरा मैं था फिर तैयार
वहाँ झलक रहा था मेरा चिर-वांछित प्यार
हाइनरिष हाइने की कविता का रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय