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"अब,क्या है कहना / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर
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+ | पलभर में | ||
+ | चमचम करती | ||
+ | रोशनी खिल आई। | ||
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04:12, 11 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
नीला आकाश
आया काला बादल
जैसे ही देखा
चुप हुई कोयल
बैठी थी भूल
वो मधुरिम गान ।
आ गई तभी
बादलों को चीरती
नन्ही किरण
कोयल का हौसला
लौटके आया
खूब थी छेड़ी
फिर उसने तान।
बादल काला
अब हुआ हैरान।
दौड़के आई
सूरज की बहना
वायु का बस
अब,क्या है कहना।
उठा बादल
घाटी में फेंक आई।
पलभर में
चमचम करती
रोशनी खिल आई।